भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नासदीय सूक्त, ऋग्वेद - 10 / 129 / 5 / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> फे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

11:39, 7 मई 2019 का अवतरण

फेन
बरहम के मन में
उपजल कामना
सउंसे बरहमांड में
फैल गइल
आउर प्रकृति तत्‍व से
मिल के
सृष्टि रचे के
शुरूआत कइलक ॥5॥

तिरश्चीनो विततो रश्मिरेषामधः स्विदासी३दुपरि स्विदासी३त्।
रेतोधा आसन्महिमान आसन्त्स्वधा अवस्तात्प्रयतिः परस्तात् ॥5॥