"आएँगे तूफ़ान भी / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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मैं एकाकी कब रहा,जब तुम मेरे साथ। | मैं एकाकी कब रहा,जब तुम मेरे साथ। | ||
छोडूँगा तुमको नहीं,यह जन्मों का साथ। | छोडूँगा तुमको नहीं,यह जन्मों का साथ। | ||
− | + | 21 | |
हर धड़कन में मैं बसा, जैसे तन में साँस। | हर धड़कन में मैं बसा, जैसे तन में साँस। | ||
आएँगे तूफ़ान भी ,फिर भी तेरे साथ॥ | आएँगे तूफ़ान भी ,फिर भी तेरे साथ॥ | ||
− | + | 22 | |
किसी डोर से कब बँधा,मेरा यह संसार। | किसी डोर से कब बँधा,मेरा यह संसार। | ||
तरसे होंगे हम कभी,बाँधे तेरा प्यार।। | तरसे होंगे हम कभी,बाँधे तेरा प्यार।। | ||
− | + | 23 | |
मुझमें तो कुछ था नहीं,तुझमें था यह खास। | मुझमें तो कुछ था नहीं,तुझमें था यह खास। | ||
मुझको देखा तक नहीं,फिर भी यह विश्वास!! | मुझको देखा तक नहीं,फिर भी यह विश्वास!! | ||
− | + | 24 | |
देह -धर्म से भी परे,हम दोनों की प्यास। | देह -धर्म से भी परे,हम दोनों की प्यास। | ||
सुख- दुख साझे हो गए,बच गई जीवन-आस।। | सुख- दुख साझे हो गए,बच गई जीवन-आस।। | ||
− | + | 25 | |
लोहे का व्यापार हो, या कोयले की खान । | लोहे का व्यापार हो, या कोयले की खान । | ||
समझे वह कब भला,तुम हीरे की खान ॥ | समझे वह कब भला,तुम हीरे की खान ॥ | ||
− | + | 26 | |
तेरा माथा चाँद-सा,चूम लिया जिस बार। | तेरा माथा चाँद-सा,चूम लिया जिस बार। | ||
मन की पीड़ा छँट गई बरसी फिर बौछार ॥ | मन की पीड़ा छँट गई बरसी फिर बौछार ॥ | ||
− | + | 27 | |
मन में तुम हो शारदा , तन में तुम उल्लास । | मन में तुम हो शारदा , तन में तुम उल्लास । | ||
उसे न कुछ भी चाहिए, तुम जिस मन के पास ॥ | उसे न कुछ भी चाहिए, तुम जिस मन के पास ॥ | ||
− | + | 28 | |
तुझको जितने दुख मिलें, मुझको देना दान । | तुझको जितने दुख मिलें, मुझको देना दान । | ||
मेरी बस यह कामना,दूँ तुझको मुस्कान ॥ | मेरी बस यह कामना,दूँ तुझको मुस्कान ॥ | ||
− | + | 29 | |
करूँ आचमन हर घड़ी, गिरे नयन से नीर । | करूँ आचमन हर घड़ी, गिरे नयन से नीर । | ||
मेरा सुख केवल यही, हर लूँ तेरी पीर ॥ | मेरा सुख केवल यही, हर लूँ तेरी पीर ॥ | ||
− | + | 30 | |
दानव जिसके मन बसे, वह बाँटेगा शूल । | दानव जिसके मन बसे, वह बाँटेगा शूल । | ||
हम-तुम तो उपवन रहे, केवल बाँटें फूल ॥ | हम-तुम तो उपवन रहे, केवल बाँटें फूल ॥ | ||
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20:07, 14 मई 2019 के समय का अवतरण
20
मैं एकाकी कब रहा,जब तुम मेरे साथ।
छोडूँगा तुमको नहीं,यह जन्मों का साथ।
21
हर धड़कन में मैं बसा, जैसे तन में साँस।
आएँगे तूफ़ान भी ,फिर भी तेरे साथ॥
22
किसी डोर से कब बँधा,मेरा यह संसार।
तरसे होंगे हम कभी,बाँधे तेरा प्यार।।
23
मुझमें तो कुछ था नहीं,तुझमें था यह खास।
मुझको देखा तक नहीं,फिर भी यह विश्वास!!
24
देह -धर्म से भी परे,हम दोनों की प्यास।
सुख- दुख साझे हो गए,बच गई जीवन-आस।।
25
लोहे का व्यापार हो, या कोयले की खान ।
समझे वह कब भला,तुम हीरे की खान ॥
26
तेरा माथा चाँद-सा,चूम लिया जिस बार।
मन की पीड़ा छँट गई बरसी फिर बौछार ॥
27
मन में तुम हो शारदा , तन में तुम उल्लास ।
उसे न कुछ भी चाहिए, तुम जिस मन के पास ॥
28
तुझको जितने दुख मिलें, मुझको देना दान ।
मेरी बस यह कामना,दूँ तुझको मुस्कान ॥
29
करूँ आचमन हर घड़ी, गिरे नयन से नीर ।
मेरा सुख केवल यही, हर लूँ तेरी पीर ॥
30
दानव जिसके मन बसे, वह बाँटेगा शूल ।
हम-तुम तो उपवन रहे, केवल बाँटें फूल ॥
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