"हम अपनी सेना बनायें / कर्मानंद आर्य" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कर्मानंद आर्य |अनुवादक= |संग्रह=ड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | रात दिन मार खायें | |
− | + | उससे अच्छा है हम अपनी सेना बनाएं | |
− | + | ||
− | + | फेल हो गई व्यवस्था | |
− | + | हद तक बढ़ गई दुर्दशा | |
− | + | आंत की रोटी छीनी | |
− | + | जात बताई कमीनी | |
− | + | आओ कंधे से कंधा जोड़ लें | |
− | + | बारूदों की ओर मुख मोड़ लें | |
− | + | ||
− | + | युवजन! तुम्हारी जवानियाँ प्रतिदान मांगती हैं | |
− | + | बलिदान मांगती हैं, कुलदान मांगती हैं | |
− | + | श्रमशील हंसिये उठो, तुम्हारा समय आ गया | |
− | + | कुदालियाँ उठो, तुम्हारा समय आ गया | |
− | + | ||
− | + | देश के गद्दारों ने मुँह उठाया है | |
− | + | घास की रोटी खाने वालों ने हमको चिढ़ाया है | |
− | + | ||
− | + | मिट्टी के शेरों पर मूत दो | |
− | + | मुगलों से ताकत लो, सूत दो | |
− | + | ||
− | + | रोज-रोज मार खाने से अच्छा है एक रोज मर जाना | |
− | + | टिम-टिम जलने से अच्छा है भभक कर जल जाना | |
− | + | ||
− | पर | + | आओ, सैनिक छावनी में डेरा लगायें |
− | + | अन्यायी अत्याचारी के गढ़ में बारूदों की तरह बिछ जाएँ | |
− | + | ||
− | + | केन बमों में आग है | |
− | + | सुतली बमों में आग है | |
− | + | जो आग है तुम्हारे भीतर उसको जलाएं | |
− | + | ||
− | + | आओ, हम अपनी ताकत बन जाएँ | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> |
14:06, 20 मई 2019 के समय का अवतरण
रात दिन मार खायें
उससे अच्छा है हम अपनी सेना बनाएं
फेल हो गई व्यवस्था
हद तक बढ़ गई दुर्दशा
आंत की रोटी छीनी
जात बताई कमीनी
आओ कंधे से कंधा जोड़ लें
बारूदों की ओर मुख मोड़ लें
युवजन! तुम्हारी जवानियाँ प्रतिदान मांगती हैं
बलिदान मांगती हैं, कुलदान मांगती हैं
श्रमशील हंसिये उठो, तुम्हारा समय आ गया
कुदालियाँ उठो, तुम्हारा समय आ गया
देश के गद्दारों ने मुँह उठाया है
घास की रोटी खाने वालों ने हमको चिढ़ाया है
मिट्टी के शेरों पर मूत दो
मुगलों से ताकत लो, सूत दो
रोज-रोज मार खाने से अच्छा है एक रोज मर जाना
टिम-टिम जलने से अच्छा है भभक कर जल जाना
आओ, सैनिक छावनी में डेरा लगायें
अन्यायी अत्याचारी के गढ़ में बारूदों की तरह बिछ जाएँ
केन बमों में आग है
सुतली बमों में आग है
जो आग है तुम्हारे भीतर उसको जलाएं
आओ, हम अपनी ताकत बन जाएँ