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"महफ़िल में उनके आर से हलचल सी हो गई / ऋषिपाल धीमान ऋषि" के अवतरणों में अंतर
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19:11, 21 मई 2019 के समय का अवतरण
महफ़िल में उनके आर से हलचल सी हो गई
आंख एक एक शख्स की चंचल सी हो गई।
इक बार क्या गुज़र गये मेरी गली से वो
पूरे ही गांव की हवा संदल सी हो गई।
दो डग भरे जो तुमने मेरे साथ हमनशीं
पुरख़ार ज़िन्दगी मेरी मखमल सी हो गई।
कल शब तुम्हारी याद का आपम अजीब था
यादों की हर छनक लगा पायल सी हो गई।
वो आएंगे नहीं ये खबर तीर सी लगी
और हिरनी इंतज़ार की घायल सी हो गई।
जब से गये हैं शहर से कुछ दिलनवाज़ लोग
बस्ती हमारी ऐ 'ऋषि' जंगल सी हो गई।