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"बे-अमल शाह के सारे वादे हुए / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'" के अवतरणों में अंतर

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बे-अमल शाह के सारे वादे हुए
बाग़ी इस वास्ते शाहज़ादे हुए।

कर्ज बापू चुकाये बिना चल बसा
और बेटों के गिरवी लबादे हुए।

इसलिए सीख-पर ने नहीं ली मदद
उड़ न पाता वो एहसान लादे हुए।

इतनी ग़ज़लों के कहने से क्या फायदा
कीमती शेर कितने बता दे हुए।

सीख लो बच के 'विश्वास' चलना ज़रा
लूटते हैं यहां बुत खरादे हुए।