भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुस्कुराओ, गीत गाओ आ गया सूरज मकर पर / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' |अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:41, 22 मई 2019 के समय का अवतरण
मुस्कुराओ, गीत गाओ आ गया सूरज मकर पर
दान दो, आशीष पाओ आ गया सूरज मकर पर।
रोज़ तुलसी के निकट घर में जलाकर दीप घी का
आपदा घर से भगाओ आ गया सूरज मकर पर।
दे रही दस्तक बहारे-गुल, गुलाबी खुशबुओं को
ऐ हवाओ अब लुटाओ आ गया सूरज मकर पर।
सीख अपने आचरण से दो, न छेड़ो बहस कोई
ज्ञान की गंगा बहाओ आ गया सूरज मकर पर।
जीत ली हर जंग तुमने जब मशक्कत के भरोसे
छोड़ देहरी अब न जाओ आ गया सूरज मकर पर।
देश-रक्षा, जल-सुरक्षा और बेटी है बचाना
एक आंदोलन चलाओ आ गया सूरज मकर पर।
सिर्फ परहित ही रहे उद्देश्य जब 'विश्वास' सबका
पर्व-खिचड़ी तब मनाओ आ गया सूरज मकर पर।