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"बस्तर होना / पूनम वासम" के अवतरणों में अंतर

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कि इतिहास बताएगा बस्तर का सच
 
कि इतिहास बताएगा बस्तर का सच

20:15, 22 मई 2019 के समय का अवतरण

नहीं बचा रहेगा ऐसा कुछ भी
आने वाले समय में,
कि इतिहास बताएगा बस्तर का सच
कि अभी जहाँ, जिस मिट्टी पर
तुम्हारे महँगे जूतों की थाप है
वहाँ से लेकर उस रेतीली नदी के बीचो-बीच
खुदे हुए हैं हज़ारों-हज़ार कुएँ ।

खोदोगे ग़र कुदाल उठाकर तो अब भी
रेतीली नदी के भीतर
उबलती ख़ून की हाण्डियाँ मिलेंगी !

यहाँ, जहाँ खड़ी है आज तुम्हारी चमकती गाड़ी
वहीँ उसके पहिए के नीचे दफ़न है
एक दूल्हे की शेरवानी,
बहन की रेशमी राखी
माँ के हाथों की बनी गुदड़ी ।

और हाँ, ग़र तौल सको तो तौल कर देखना
कई किलो सिन्दूर की डिबिया भी होगी
एक सुनहरे बालों वाली मटमैली-सी गुड़िया की कहानी भी
दम तोड़ चुकी होगी ।

अरे हाँ, यहीँ नीचे
तुम्हारे आलिशान बँगले के आसपास
ख़ूब सारी सम्वेदनाओ ने आत्महत्या कर ली थी ।

गुणा-भाग
और आँकड़ो का खेल भी गजब का था
तीस, चालीस, सौ, हज़ार
फिर पता नही कितने !

तुम्हें भी शायद ही याद हो.
वैसे भी ख़ून का तिलक करने
और देश पर मरने वाले
इतिहास बन जाते हैं ।

और इतिहास
आज के समय का
सबसे उबाऊ विषय है ।