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"रहता है साथ-साथ मेहरबान की तरह / कुमार नयन" के अवतरणों में अंतर

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11:32, 3 जून 2019 के समय का अवतरण

रहता है साथ-साथ मेहरबान की तरह
इक शख्स मेरे सर पे आसमान की तरह।

मिलती है मेरी ज़िन्दगी को दाद आह-आह
मैं हो गया हूँ मीर की ज़बान की तरह।

हिस्से में मुझको भूख ही मिली है क्या कहूँ
पढ़ लो मुझे ही मुल्क के बयान की तरह।

लड़ता नहीं कोई भी अब किसी भी बात पर
रहते हैं घर के लोग मेहरबान की तरह।

दंगे के बाद शहर पे इक दाग़ रह गया
माथे पे मेरे चोट के निशान की तरह।

घर ही नहीं ये जायदाद भी उसी की है
दरबान है खड़ा जो बेज़बान की तरह।

आये हसीं ख़याल मां क़सम जो रह के साथ
छुटते गये किराये के मकान की तरह।