"मत जगाओ मेरे बच्चों को / निदा नवाज़" के अवतरणों में अंतर
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मत जगाओ मेरे बच्चों को गहरी नींद से | मत जगाओ मेरे बच्चों को गहरी नींद से |
14:51, 13 जून 2019 के समय का अवतरण
बारूदी सुरँग की लपेट में आने वाले, मृत स्कूली बच्चों को देखकर
मत जगाओ मेरे बच्चों को गहरी नींद से
इन्हें सोने दो परियों की गोद में
सुनने दो इन्हें सनातन स्वर्गीय लोरियाँ
ये क़िताबों के बस्ते रहने दो इनके सिरहाने
रहने दो इनकी नन्ही जेबों में सुरक्षित
ये क़लमें, पेंसिलें और रँग-बिरँगे स्केच पेन
ये निकले थे स्कूलों के रास्ते
इस विशाल ब्रह्माण्ड को खोजने, निहारने
ये निकले थे अपने जीवन के साथ-साथ
पूरे समाज की आँखों में भरने सुनहले सपने
अभी इनका अपना कैनवस कोरा ही पड़ा था
और ये सोच ही रहे थे भरना उसमें
विश्व के सभी ख़ुशनुमा रँग
लेकिन तानाशाहों के गुर्गों ने इन्हें
रक्तिम रँग से रँग दिया
मत ठूँसो इनके बस्तों में अब
चॉकलेट कैण्डीज़ और केसरिया बादामी मिठाइयाँ
अब व्यर्थ हैं ये लुभाने वाली चीज़ें इनके लिए
इनके बिखरे पड़े टिफ़न को रहने दो ज्यों का त्यों
अब यह संसार की भूख से मुक्त हुए हैं
अब इनको नहीं चाहिए गाजर का हलवा, छोले-भटूरे
या फिर कोई मनपसन्द सैण्डविच
जब रोटी और रक्त के छींटें मिलते हैं एक साथ
आरम्भ होने लगता है साम्राज्य का विनाश
सूखी रेत की तरह सरकने लगता है
बड़े-बड़े तानाशाहों का अहँकार
मत जगाओ मेरे बच्चों को गहरी नींद से
इन्हें सोने दो परियों की गोद में
मत उतारो इनके लाल-लाल कपड़े
इनके ख़ून सने जूते, लहू रँगी कमीज़ें
इनको परेशान मत करो अपनी आहों और आंसुओं से
इन्हें अशान्त मत करो अपनी सिसकियों, स्मृतियों से
मत जगाओ मेरे बच्चों को गहरी नींद से
इन्हें सोने दो परियों की गोद में
सुनने दो इन्हें सनातन स्वर्गीय लोरियाँ
ये नींद के एक लम्बे सफ़र पर निकल पड़े हैं ।