भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो खारो समन्दर / नीलम पारीक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीलम पारीक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:48, 25 जून 2019 के समय का अवतरण

वो खारो समन्दर
अपने खारेपण ने
थामे अपने कण्ठ में
शिव ज्यूँ
बेली बादळ रे हाथ
पुगावे भैण धरा रे
टाबरियां ने
इमरत जेड़ो मीठो पाणी
धन रे समन्दर तूँ