भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आख़िरी दुःख है ज़िन्दगी का दुःख / जंगवीर सिंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जंगवीर सिंह 'राकेश' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:28, 25 जून 2019 के समय का अवतरण

आख़िरी दुःख है ज़िन्दगी का दुःख;
ज़िन्दगी या'नी बेबसी का दुःख;

हम न रोयें तो और रोए कौन;
शाख़ से टूटी हर कली का दुःख;

और बहुत दुःख हैं ज़िन्दगी में दोस्त;
'तू' नहीं मेरी ज़िन्दगी का दुःख;

मैं किसी पुल-सा देखता हूँ महज़;
एक बहती हुई नदी का दुःख;

कुछ चराग़ों ने बाँट रक्खा है;
दुनिया की सारी तीरगी का दुःख;

एक मुद्दत से रो नहीं पाया
आज रोऊँगा मैं सभी का दुःख;

देखिए मैं जो हूँ बहुत ख़ुश हूँ;
मुझको मालूम है ख़ुशी का दुःख;

मैं इधर तड़पूं वो उधर तड़पे;
'वीर' ये ही है दिल्लगी का दुःख;