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"नई पहचान / स्नेहमयी चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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20:57, 12 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

जीवन के खेल में हारकर

उसने ताश के खेल में जीतना सीख लिया

अंदर से पूरी तरह टूटकर

उसने कागज़ पर चित्र रचना सीख लिया


एक केन्द्र पर हुई पराजय

दूसरे को पर विजय बन गई

अपनों से बिलगने की प्रक्रिया में

दूसरों से जुड़ना उसकी नई पहचान बन गई।