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"ड्रामा / विनय मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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जनता बेचारी की किस्मत में अकस्मात् अंतहीन कष्टों की | जनता बेचारी की किस्मत में अकस्मात् अंतहीन कष्टों की | ||
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उसके पीछे | उसके पीछे | ||
भूत का कुआंँ | भूत का कुआंँ | ||
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भविष्य की खाई है | भविष्य की खाई है | ||
हांँ, उसे इतनी सुविधा तो है कि | हांँ, उसे इतनी सुविधा तो है कि |
23:21, 6 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
एक नया ड्रामा शुरू हो गया है
कालिदास की चमचमाती कलम
शेक्सपियर चुरा कर ले भागे हैं
और
उपनिषदों के घृत से
पश्चिम को
विचारों का आँव हो गया है
निन्यानबे के चक्कर में
एक शहरी महाजन ने
मंदिर की छत से कूदकर
आत्महत्या कर ली है
और सुखों की जगह
जनता बेचारी की किस्मत में अकस्मात् अंतहीन कष्टों की
लॉटरी लग गई है
ले देकर एक वर्तमान ही
वो जगह है
जहांँ वो कुछ देर टिक सकती है
वर्ना
उसके पीछे
भूत का कुआंँ
और आगे
भविष्य की खाई है
हांँ, उसे इतनी सुविधा तो है कि
वह चाहे तो सामने की घटनाओं से
आंँख मूंँद सकती है
और बड़े मजे से
दिन-रात
इंटरनेट पर
पोर्न फिल्में देख सकती है ।