ओ आमार उठोनेर '''रजनीगंधा,'''
शोनो
शेखाबे की आमाके अंधकारे
हासार कौशल?
आर हे प्रिये! सादा फूलेर द्वारा
अथवा कर्मयोगिनी मौन।
('''अनुवादक हिंदी से बंगाली देवनागरी डॉ .भीखी प्रसाद 'वीरेंद्र' सिलीगुड़ी)'''
रजनीगंधाओ मेरे आँगन कीसुनो तो तुम !सिखाओगी क्या मुझेअंधकार में मुस्काने का कौशल ?और हाँ ,प्रिया!श्वेत पुष्पों से तुमकाले पृष्ठों पर रात की पुस्तक केकिया करतीसशक्त हस्ताक्षरप्रेम या कर्म क्या तुम्हारा संदेशमुझे बताना '''मूल कविता !कर्मयोगी या फिरप्रेमी जागतेरातों को अकेले हीहो तुम कौनप्रेयसी प्रिय की या*[[कर्मयोगिनी मौन ।/ कविता भट्ट]]'''
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