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"लोकतंत्र / कुँअर रवीन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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22:24, 22 जुलाई 2019 के समय का अवतरण

मली हुई तंबाखू
होठ के नीचे दबाते हुए
उसने पूछा
अरे भाई! लोकतंत्र का मतलब समझते हो?
और सवाल ख़त्म होते ही
संसद की दीवार पर
पीक थूक दी
 
थोड़ी दूर पर
उसी दीवार को
टांग उठाये एक कुता भी गीला कर रहा था
 
लोकतंत्र का अर्थ
सदृश्य मेरे सामने था