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आप की प्रारम्भिक शिक्षा हिसार व पानीपत में हुई और विश्विद्यालय स्तर की उच्च एवम् उच्चतर शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हुई। | आप की प्रारम्भिक शिक्षा हिसार व पानीपत में हुई और विश्विद्यालय स्तर की उच्च एवम् उच्चतर शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हुई। | ||
− | आप छः महीनों तक | + | आप छः महीनों तक ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स मुख्यालय गुरुग्राम में राजभाषा अधिकारी के पद पर रहे। वर्तमान में दो साल से आप दिल्ली में दृष्टिबाधितार्थ विशेष विद्यालय बी.आर.ऐ. में हिन्दी व्याख्याता के पद पर रहकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं। |
− | 11वी कक्षा में ही आप के सिर से पिता का साया उठ गया था, आप के पिता जिले सिंह दूहन सीमा सुरक्षा बल में | + | 11वी कक्षा में ही आप के सिर से पिता का साया उठ गया था, आप के पिता जिले सिंह दूहन सीमा सुरक्षा बल में कार्यरत थे। आप की माता मैना देवी घरेलू काम-काज सम्भालने वाली साधारण महिला हैं। |
− | आप किशोर अवस्था से ही कविता लिख रहे हैं। आप की कविताओं में | + | आप किशोर अवस्था से ही कविता लिख रहे हैं। आप की कविताओं में सम्पूर्ण भारत के प्रति आस्था, संस्कृति के प्रति निष्ठा , मानवता के प्रति आग्रह, सामन्तवाद के प्रति आक्रोश, स्वतंत्रता के लिये संकल्प , निर्माण एवं सृजन के लिये प्रेरणा तथा शोषकों के प्रति क्रांति को जन्म देने वाले भाव हैं। आप बेशक जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं पर आप की साहित्यिक दृष्टि अपनी सी आप ही है जो सामाजिक यथार्थ को व्यापक फलक पर देखने की क्षमता रखती है। |
19:50, 6 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
शैलेन्द्र सिंह दूहन का जन्म 18-07-1991 को हरियाणा में हिसार जिले के चानौत गाँव में हुआ। आप की प्रारम्भिक शिक्षा हिसार व पानीपत में हुई और विश्विद्यालय स्तर की उच्च एवम् उच्चतर शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हुई। आप छः महीनों तक ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स मुख्यालय गुरुग्राम में राजभाषा अधिकारी के पद पर रहे। वर्तमान में दो साल से आप दिल्ली में दृष्टिबाधितार्थ विशेष विद्यालय बी.आर.ऐ. में हिन्दी व्याख्याता के पद पर रहकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं। 11वी कक्षा में ही आप के सिर से पिता का साया उठ गया था, आप के पिता जिले सिंह दूहन सीमा सुरक्षा बल में कार्यरत थे। आप की माता मैना देवी घरेलू काम-काज सम्भालने वाली साधारण महिला हैं। आप किशोर अवस्था से ही कविता लिख रहे हैं। आप की कविताओं में सम्पूर्ण भारत के प्रति आस्था, संस्कृति के प्रति निष्ठा , मानवता के प्रति आग्रह, सामन्तवाद के प्रति आक्रोश, स्वतंत्रता के लिये संकल्प , निर्माण एवं सृजन के लिये प्रेरणा तथा शोषकों के प्रति क्रांति को जन्म देने वाले भाव हैं। आप बेशक जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं पर आप की साहित्यिक दृष्टि अपनी सी आप ही है जो सामाजिक यथार्थ को व्यापक फलक पर देखने की क्षमता रखती है।