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"दु:ख भी मिटें / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | सबके भाव बने | ||
+ | प्राण बाँसुरी । | ||
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+ | तुम्हारी याद- | ||
+ | रोम-रोम में गूँजे | ||
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+ | तुम्हारा रूप- | ||
+ | ओस-बूँद पावन, | ||
+ | सर्दी की धूप । | ||
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+ | तुम्हारे बैन- | ||
+ | मधुर सामगान | ||
+ | नया विहान। | ||
+ | 68 | ||
+ | तुम्हारा प्यार- | ||
+ | कल-कल करती | ||
+ | ज्यों जलधार्। | ||
+ | 69 | ||
+ | तुम्हारा माथ- | ||
+ | छू लिया जो दो पल | ||
+ | लौटें हैं प्राण। | ||
+ | 70 | ||
+ | तुम्हारा मन- | ||
+ | कण-कण महका | ||
+ | चन्दन-वन । | ||
+ | 71 | ||
+ | तुम्हारा हास- | ||
+ | धरा से नभ तक | ||
+ | फैला उजास । | ||
+ | 72 | ||
+ | तुम्हारे भाव- | ||
+ | अमृत -सरिता में | ||
+ | तिरती नाव । | ||
+ | 73 | ||
+ | तेरा सम्बन्ध- | ||
+ | पावन अनुबंध | ||
+ | न टूटे कभी । | ||
+ | 74 | ||
+ | सुख आ जाए | ||
+ | बिटिया जो मुस्काए | ||
+ | माँ का आनन्द । | ||
+ | 75 | ||
+ | पोर-पोर से | ||
+ | मेरा आशीर्वचन | ||
+ | हँसे आँगन । | ||
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07:45, 8 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
61
सत्ता का कुआँ
कब किसका हुआ
गिरा जो ,डूबा ।
62
थोड़ा-सा सुख
सबको मिल जाए
मन ये खिले।
63
दु:ख भी मिटें
मिटें गिले- शिकवे
स्वर्ग रच दें।
64
साँस आखिरी
सबके भाव बने
प्राण बाँसुरी ।
65
तुम्हारी याद-
रोम-रोम में गूँजे
बनके नाद ।
66
तुम्हारा रूप-
ओस-बूँद पावन,
सर्दी की धूप ।
67
तुम्हारे बैन-
मधुर सामगान
नया विहान।
68
तुम्हारा प्यार-
कल-कल करती
ज्यों जलधार्।
69
तुम्हारा माथ-
छू लिया जो दो पल
लौटें हैं प्राण।
70
तुम्हारा मन-
कण-कण महका
चन्दन-वन ।
71
तुम्हारा हास-
धरा से नभ तक
फैला उजास ।
72
तुम्हारे भाव-
अमृत -सरिता में
तिरती नाव ।
73
तेरा सम्बन्ध-
पावन अनुबंध
न टूटे कभी ।
74
सुख आ जाए
बिटिया जो मुस्काए
माँ का आनन्द ।
75
पोर-पोर से
मेरा आशीर्वचन
हँसे आँगन ।
-0-