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"ख़ुद को ढूँढना / वीरेन डंगवाल" के अवतरणों में अंतर
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जो आती गोया | जो आती गोया | ||
पहाड़ों के पार से | पहाड़ों के पार से | ||
− | सीधे कानों फिर इन | + | सीधे कानों फिर इन शब्दों में |
ढूँढना ख़ुद को | ढूँढना ख़ुद को | ||
ख़ुद की परछाई में | ख़ुद की परछाई में | ||
− | एक न लिए गए | + | एक न लिए गए चुम्बन में |
− | अपराध की तरह | + | अपराध की तरह ढूँढ़ना |
चुपचाप गुज़रो इधर से | चुपचाप गुज़रो इधर से |
16:51, 20 सितम्बर 2019 के समय का अवतरण
एक शीतोष्ण हँसी में
जो आती गोया
पहाड़ों के पार से
सीधे कानों फिर इन शब्दों में
ढूँढना ख़ुद को
ख़ुद की परछाई में
एक न लिए गए चुम्बन में
अपराध की तरह ढूँढ़ना
चुपचाप गुज़रो इधर से
यहाँ आँखों में मोटा काजल
और बेंदी पहनी सधवाएँ
धो रही हैं
रेत से अपने गाढ़े चिपचिपे केश
वर्षा की प्रतीक्षा में