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"शहर / कंस्तांतिन कवाफ़ी / आग्नेय" के अवतरणों में अंतर

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तुमने कहा, ‘‘मैं एक दूसरे देश चला जाऊँगा,
 
तुमने कहा, ‘‘मैं एक दूसरे देश चला जाऊँगा,
 
मैं एक दूसरे साहिल को परखूँगा,
 
मैं एक दूसरे साहिल को परखूँगा,
एक दूसरा शहर होगा जो इस शहर से बेहतरीन होगा।
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एक दूसरा शहर होगा जो इस शहर से बेहतरीन होगा ।
यहाँ मैं जो भी करता हूँ, वह अग्रिम में तिरष्कृत है
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यहाँ मैं जो भी करता हूँ, वह अग्रिम में तिरस्कृत है
और मेरा हृदय एक मृतक के हृदय की तरह दफ़्न है।
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और मेरा हृदय एक मृतक के हृदय की तरह दफ़्न है ।
मेरा मन कब तक इस दलदल में रह पाएगा?
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मेरा मन कब तक इस दलदल में रह पाएगा ?
 
जहाँ भी मुड़ता हूँ, जहाँ भी मैं देखता हूँ, मैं देखता हूँ
 
जहाँ भी मुड़ता हूँ, जहाँ भी मैं देखता हूँ, मैं देखता हूँ
अपने जीवन के खंडहर ही!—
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अपने जीवन के खंडहर ही ! —
जहाँ मैंने बिताए और उनमें पैबंद लगाए और व्यर्थ में गँवाए इतने सारे वर्ष!’’
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जहाँ मैंने बिताए और उनमें पैबन्द लगाए और व्यर्थ में गँवाए इतने सारे वर्ष !’’
  
तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया देश।
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तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया देश ।
तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया साहिल।
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तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया साहिल ।
 
यह शहर तुम्हारा पीछा करेगा, तुम भटकोगे
 
यह शहर तुम्हारा पीछा करेगा, तुम भटकोगे
उन्हीं सड़कों पर और उन्हीं पड़ोसों में बुढ़ा जाओगे।
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उन्हीं सड़कों पर और उन्हीं पड़ोसों में बुढ़ा जाओगे ।
 
उन्हीं घरों में तुम्हारे केश धवल हो जाएँगे,
 
उन्हीं घरों में तुम्हारे केश धवल हो जाएँगे,
और तुम हमेशा उसी शहर में पहुँचोगे। छोड़ दो उम्मीद
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किसी दूसरी जगह जाने की। कोई जहाज़, कोई मार्ग
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तुम्हें वहाँ नहीं ले जा सकता!
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तुम्हें वहाँ नहीं ले जा सकता !
 
जिस तरह तुमने अपने जीवन को नष्ट कर दिया इस मामूली कोने में,
 
जिस तरह तुमने अपने जीवन को नष्ट कर दिया इस मामूली कोने में,
 
वैसे ही तुमने उसे नष्ट कर दिया पृथ्वी पर हर जगह!
 
वैसे ही तुमने उसे नष्ट कर दिया पृथ्वी पर हर जगह!

20:30, 30 सितम्बर 2019 का अवतरण

तुमने कहा, ‘‘मैं एक दूसरे देश चला जाऊँगा,
मैं एक दूसरे साहिल को परखूँगा,
एक दूसरा शहर होगा जो इस शहर से बेहतरीन होगा ।
यहाँ मैं जो भी करता हूँ, वह अग्रिम में तिरस्कृत है
और मेरा हृदय एक मृतक के हृदय की तरह दफ़्न है ।
मेरा मन कब तक इस दलदल में रह पाएगा ?
जहाँ भी मुड़ता हूँ, जहाँ भी मैं देखता हूँ, मैं देखता हूँ
अपने जीवन के खंडहर ही ! —
जहाँ मैंने बिताए और उनमें पैबन्द लगाए और व्यर्थ में गँवाए इतने सारे वर्ष !’’

तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया देश ।
तुम नहीं खोज पाओगे कोई भी नया साहिल ।
यह शहर तुम्हारा पीछा करेगा, तुम भटकोगे
उन्हीं सड़कों पर और उन्हीं पड़ोसों में बुढ़ा जाओगे ।
उन्हीं घरों में तुम्हारे केश धवल हो जाएँगे,
और तुम हमेशा उसी शहर में पहुँचोगे । छोड़ दो उम्मीद
किसी दूसरी जगह जाने की । कोई जहाज़, कोई मार्ग
तुम्हें वहाँ नहीं ले जा सकता !
जिस तरह तुमने अपने जीवन को नष्ट कर दिया इस मामूली कोने में,
वैसे ही तुमने उसे नष्ट कर दिया पृथ्वी पर हर जगह!
 
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आग्नेय

लीजिए, इस कविता का अँग्रेज़ी अनुवाद पढ़िए
               C. P. CAVAFY
                      The City

You said: “I’ll go to another country, go to another shore,
find another city better than this one.
Whatever I try to do is fated to turn out wrong
and my heart lies buried like something dead.
How long can I let my mind moulder in this place?
Wherever I turn, wherever I look,
I see the black ruins of my life, here,
where I’ve spent so many years, wasted them, destroyed them totally.”

You won’t find a new country, won’t find another shore.
This city will always pursue you.
You’ll walk the same streets, grow old
in the same neighborhoods, turn gray in these same houses.
You’ll always end up in this city. Don’t hope for things elsewhere:
there’s no ship for you, there’s no road.
Now that you’ve wasted your life here, in this small corner,
you’ve destroyed it everywhere in the world.

TRANSLATED BY EDMUND KEELEY