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"पीर रिमझिम / छाया त्रिपाठी ओझा" के अवतरणों में अंतर
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तोड़ कर तटबंध सारे
आज नयनों के सहारे
है बरसती पीर रिमझिम
है बरसती पीर रिमझिम
काँच जैसे हृदय टूटा
सँग अपनों का भी छूटा
कर्म धोखा खा गया यूँ
भाग्य ने सर्वस्व लूटा
मन विकल हो आज द्वारे,
अब भला किसको पुकारे
है बरसती पीर रिमझिम
है बरसती पीर रिमझिम
राह खुशियों ने है मोड़ा
लक्ष्य ने अनुराग तोड़ा
झूठ रिश्ते और नाते
आज सबने साथ छोड़ा
स्वप्न नेहिल सब हमारे,
रह गए बैठे कुँवारे
है बरसती पीर रिमझिम
है बरसती पीर रिमझम
हंस रही है आज दुनिया
जानती सब राज दुनिया
गीत गाती वेदना अब
दे रही है साज दुनिया
तुम नहीं हो साथ फिर जब
कौन किस्मत को संवारे
है बरसती पीर रिमझिम
है बरसती पीर रिमझिम