"अशांत का जन्मदिन / राजकिशोर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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नमन करो इस शब्द पुरुष को | नमन करो इस शब्द पुरुष को | ||
जिसकी वर्षगांठ हमने मनाया है | जिसकी वर्षगांठ हमने मनाया है | ||
− | अद्भुत | + | अद्भुत शक्ति, समुंदर सा धीरज |
चेहरा जिसका मन को भाया है | चेहरा जिसका मन को भाया है | ||
दुबला-पतला सीघा-साध | दुबला-पतला सीघा-साध | ||
− | पहली बार जब | + | पहली बार जब देखी काया |
− | अद्भुत | + | अद्भुत शक्ति, समुंदर सा धीरज |
चेहरा जिसका मन को भाया है | चेहरा जिसका मन को भाया है | ||
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नाम अशांत पर दिल में शांति | नाम अशांत पर दिल में शांति | ||
− | + | फिर भी अशांत भोला है | |
प्रेम देने पर ये होते शबनम | प्रेम देने पर ये होते शबनम | ||
घृणा पर तो शोला है | घृणा पर तो शोला है | ||
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सादा जीवन उच्च विचार | सादा जीवन उच्च विचार | ||
ही इनकी आधर शिला है | ही इनकी आधर शिला है | ||
मगर प्रेम प्रसंग काव्य में इनके | मगर प्रेम प्रसंग काव्य में इनके | ||
− | रंगीन | + | रंगीन फूलों सा खिला है |
पैर पजामा तन में मलबरी कुर्त्ता | पैर पजामा तन में मलबरी कुर्त्ता | ||
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जैसा किसी जवान में | जैसा किसी जवान में | ||
− | कविता | + | कविता लिखना गोष्ठी करना |
− | इनकी | + | इनकी रक्त धारा है |
नवसृजित कवियों का काव्य | नवसृजित कवियों का काव्य | ||
इन्हें बहुत ही प्यारा है | इन्हें बहुत ही प्यारा है | ||
− | साठ वर्षों की | + | साठ वर्षों की लेखनी में |
प्रेम प्रसंग की है उमंग | प्रेम प्रसंग की है उमंग | ||
कलम इनकी ऐसी पिचकारी | कलम इनकी ऐसी पिचकारी |
01:09, 21 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण
नमन करो इस शब्द पुरुष को
जिसकी वर्षगांठ हमने मनाया है
अद्भुत शक्ति, समुंदर सा धीरज
चेहरा जिसका मन को भाया है
दुबला-पतला सीघा-साध
पहली बार जब देखी काया
अद्भुत शक्ति, समुंदर सा धीरज
चेहरा जिसका मन को भाया है
दिल में सद्गुण मन में साहस
इनके होठों पे सत्यवाणी है
पौरुष प्रतिमा व प्रीति प्राण
इनकी यही कहानी है
नाम अशांत पर दिल में शांति
फिर भी अशांत भोला है
प्रेम देने पर ये होते शबनम
घृणा पर तो शोला है
सादा जीवन उच्च विचार
ही इनकी आधर शिला है
मगर प्रेम प्रसंग काव्य में इनके
रंगीन फूलों सा खिला है
पैर पजामा तन में मलबरी कुर्त्ता
के अद्भुत परिधन में
रौनकता लगती ऐसी इनकी
जैसा किसी जवान में
कविता लिखना गोष्ठी करना
इनकी रक्त धारा है
नवसृजित कवियों का काव्य
इन्हें बहुत ही प्यारा है
साठ वर्षों की लेखनी में
प्रेम प्रसंग की है उमंग
कलम इनकी ऐसी पिचकारी
देती जो बिना होली के रंग
मजदूर दिवस के शुभ अवसर पर
जनमा है एक साहित्यिक मजदूर
काव्य सेवा से हिन्दी माँ की
जिसने की है सेवा भरपूर।