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बन रहा इतिहास नूतन
जाग शोषित देख सम्मुख
है नया संसार !
स्वार्थ में जब विश्व सारा डूब हिंसा कर रहा था,
मनुज अत्याचार से था त्रस्त प्रतिपल डर रहा था,
चल पड़ी तब घोर आँधी
और विप्लव ज्वार !
नष्ट जिसमें हो गये सब आततायी क्रूर राक्षस,
और पूँजीवाद तानाशाह की तोड़ी गयी नस,
मुक्त जनता-युग हमारे
सामने-साकार !
1944