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"सन्नाटे डँसते हैं / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

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पतझड़ में बदल गये
 
पतझड़ में बदल गये
टेसू के दिन
 
 
धुआँ-धुआँ हो गई है
 
अंतर की धूप
 
जुड़ें कैसे नदियों सम
 
शहरों के कूप
 
 
चुभो रही इच्छाएँ
 
रह-रह के पिन
 
 
 
धूल भरी पगडंडी
 
पड़ी है उदास
 
सूख रही नदिया में
 
सिसक रही प्यास
 
 
सन्नाटे डँसते हैं
 
बनकर नागिन
 
 
छीन चुका चंचलता
 
भाव का जमाव
 
मृत घोषित करता है
 
हावी ठहराव
 
 
काट रहा जीवन को
 
जीवन गिन-गिनपतझड़ में बदल गये
 
 
टेसू के दिन
 
टेसू के दिन
  

15:50, 18 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

पतझड़ में बदल गये
टेसू के दिन

धुआँ-धुआँ हो गई है
अंतर की धूप
जुड़ें कैसे नदियों सम
शहरों के कूप

चुभो रही इच्छाएँ
रह-रह के पिन

धूल भरी पगडंडी
पड़ी है उदास
सूख रही नदिया में
सिसक रही प्यास

सन्नाटे डँसते हैं
बनकर नागिन

छीन चुका चंचलता
भाव का जमाव
मृत घोषित करता है
हावी ठहराव

काट रहा जीवन को
जीवन गिन-गिन