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"ये आँसू ही मेरा परिचय / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

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ये आँसू ही मेरा परिचय।
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मेरे प्राण! अधूरे सपने!  
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अब तुम मेरे पास न आओ,
 
अब तुम मेरे पास न आओ,
बार-बार मेरे जीवन में  
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नहीं आस के दीप जलाओ।
 
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मैंने सीख लिया जीवन में-
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हँसी-खुशी का करना अभिनय।
 
हँसी-खुशी का करना अभिनय।
  
चाही थीं कुछ स्वर्णिम साँझें  
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चाही थीं कुछ स्वर्णिम साँझें
मुझे मिले दुरूस्‍वप्‍न भयंकर,  
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मुझे मिले दुरूस्वप्न भयंकर,
जब सपनों से डरकर जगता  
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जब सपनों से डरकर जगता
सत्य भयावह मिलता बाहर।
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सत्य भयावह मिलता बाहर।
मैंने अपने ही हाथों से -
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मैंने अपने ही हाथों से-
 
सींचा मन में पौधा विषमय।
 
सींचा मन में पौधा विषमय।
  
घायल करता पीड़ित रव-स्वर
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मेरे लिये  नहीं  अब  सपने
पर पीर सहे चुपचाप कौन?  
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बस है तो यह दुख का पर्वत,
होने लगता अंतर व्याकुल राजा
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जहाँ  मेघ  टकराते  मन  के  
जगते सुधि के स्वर तोड़ मौन?
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और  नित्य  होते  हैं  आहत।
दुख ढलता नित आँसू बनकर।
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भंडार मगर इसका अक्षय।
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यहाँ नहीं दिख सकता सूरज
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कुहरा दुख का छाया अक्षय।
 
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15:55, 18 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

ये आँसू ही मेरा परिचय।

मेरे प्राण! अधूरे सपने!
अब तुम मेरे पास न आओ,
बार - बार मेरे जीवन में
नहीं आस के दीप जलाओ।

मैंने सीख लिया जीवन में-
हँसी-खुशी का करना अभिनय।

चाही थीं कुछ स्वर्णिम साँझें
मुझे मिले दुरूस्वप्न भयंकर,
जब सपनों से डरकर जगता
सत्य भयावह मिलता बाहर।

मैंने अपने ही हाथों से-
सींचा मन में पौधा विषमय।

मेरे लिये नहीं अब सपने
बस है तो यह दुख का पर्वत,
जहाँ मेघ टकराते मन के
और नित्य होते हैं आहत।

यहाँ नहीं दिख सकता सूरज
कुहरा दुख का छाया अक्षय।