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"मेरा तो अपराध यही है / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर
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− | मेरा तो अपराध यही है, | + | मेरा तो अपराध यही है, |
− | मैंने तुमसे प्यार किया | + | मैंने तुमसे प्यार किया है। |
− | कौन मिटाएगा तुम बिन अब | + | कौन मिटाएगा तुम बिन अब |
− | इस जीवन की तिमिर निशा को, | + | इस जीवन की तिमिर निशा को, |
− | कौन मिटा सकता है तुम बिन | + | कौन मिटा सकता है तुम बिन |
प्रिय दर्शन की अमिट तृषा को। | प्रिय दर्शन की अमिट तृषा को। | ||
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+ | दोष तुम्हें दूँ या जग को दूँ - | ||
+ | खुद जीवन निस्सार किया है। | ||
− | भूलूँ कैसे वह आलिंगन | + | भूलूँ कैसे वह आलिंगन |
− | और साथ जो देखे सपने, | + | और साथ जो देखे सपने, |
− | इस बेगानी दुनिया में बस | + | इस बेगानी दुनिया में बस |
− | तुम मुझको लगते थे | + | तुम मुझको लगते थे अपने। |
− | कली अधखिली रही प्रेम की - | + | |
− | + | कली अधखिली रही प्रेम की- | |
+ | काँटों से अभिसार किया है। | ||
मेरी बस इतनी अभिलाषा | मेरी बस इतनी अभिलाषा | ||
− | हो मधुमास तुम्हारे आँगन, | + | हो मधुमास तुम्हारे आँगन, |
− | अधर तुम्हारे हँसी बिखेरें | + | अधर तुम्हारे हँसी बिखेरें |
− | हास भरा हो | + | हास भरा हो सारा जीवन। |
− | मेरा क्या मैंने जो पाया - | + | |
− | उसको ही स्वीकार किया | + | मेरा क्या मैंने जो पाया- |
+ | उसको ही स्वीकार किया है। | ||
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16:05, 18 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
मेरा तो अपराध यही है,
मैंने तुमसे प्यार किया है।
कौन मिटाएगा तुम बिन अब
इस जीवन की तिमिर निशा को,
कौन मिटा सकता है तुम बिन
प्रिय दर्शन की अमिट तृषा को।
दोष तुम्हें दूँ या जग को दूँ -
खुद जीवन निस्सार किया है।
भूलूँ कैसे वह आलिंगन
और साथ जो देखे सपने,
इस बेगानी दुनिया में बस
तुम मुझको लगते थे अपने।
कली अधखिली रही प्रेम की-
काँटों से अभिसार किया है।
मेरी बस इतनी अभिलाषा
हो मधुमास तुम्हारे आँगन,
अधर तुम्हारे हँसी बिखेरें
हास भरा हो सारा जीवन।
मेरा क्या मैंने जो पाया-
उसको ही स्वीकार किया है।