भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रामवचन घर पर आया / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
खाली वोट गिरा सकते हैं | खाली वोट गिरा सकते हैं | ||
और कोस सकते नसीब को | और कोस सकते नसीब को | ||
− | मैंने उसको | + | मैंने उसको ढाढस देकर |
सब हल होगा समझाया है | सब हल होगा समझाया है | ||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
18:53, 18 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
वित्त बजट का हाल पूछने
रामवचन घर पर आया है
बाबूजी सूखा आया था
क्या उसकी खातिर राहत है?
कर माफी की बात चली थी
हुआ पास बिल या दिक्कत है
शायद कुछ मिलने वाला है
उसे किसी ने बतलाया है
बाबूजी एल. पी. जी. वाला
सुना सिलेंडर मुफ़्त मिलेगा
है चुनाव सर पर इस खातिर
कुछ मालिक हम सब को देगा
कुछ बातों को समझ रहा है
पर अब भी कुछ भरमाया है
बाबूजी हम समझ गए हैं
नहीं मिला फिर कुछ गरीब को
खाली वोट गिरा सकते हैं
और कोस सकते नसीब को
मैंने उसको ढाढस देकर
सब हल होगा समझाया है