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"मेरी हसरत अजाने में मेरा ईमान ले लेगी / गोविन्द राकेश" के अवतरणों में अंतर

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22:47, 21 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

मेरी हसरत अजाने में मेरा ईमान ले लेगी
कि रुख़्सत ही नहीं होती मुसीबत जान ले लेगी

किसी ने बद दुआ दे दी मुझे ये महसूस होता है
हसद उसकी किसी दिन तो मेरी पहचान ले लेगीं

कोई बरकत तिजारत में नज़र आती नहीं अब तक
मईषत ये कभी चुपके से सब की शान ले लेगी

ज़माने ने नज़ारों के तो कितने रंग बदले हैं
पुरानी नज़्म मेरी भी नया उन्वान ले लेगी

बढ़ी महंगाई है इतनी कि हर त्यौहार फ़ीके हैं
ये ख़ाली जेब तो बच्चों के सब अरमान ले लेगी