भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मनु का तिलिस्म / अरविन्द भारती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द भारती |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
 
आकार
 
आकार
 
धर्म और जाति के रूप में।  
 
धर्म और जाति के रूप में।  
6.दाग
 
सर ऊपर उठाकर
 
छाती फुलाकर
 
कहते फिरते हो
 
हमारी
 
सभ्यता और संस्कृति
 
विश्व में
 
सर्वश्रेष्ठ है
 
 
सुनो
 
तुम्हारी पीठ पर
 
एक दाग है
 
बहुत बड़ा
 
 
तुम
 
भले ही
 
बेशर्मों की तरह
 
कहते फिरते हो
 
कि कुछ दाग
 
अच्छे होते है
 
पर
 
तुम्हारे इस कृत्य से
 
मानवता शर्मसार है।
 
 
</poem>
 
</poem>

18:09, 26 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

शुक्राणु अंडाणु की
प्रेम कहानी में
चाँद
जब अपने
पूरे शबाब पर था

नदी गुनगुना रही थी
गज़ल

ठीक तभी
एकाकार होते वक़्त
एक और तत्व
चुपके से
प्रविष्ट होता है
समा जाता है
गर्भ में

भ्रूण बनते ही
ले लेता है
आकार
धर्म और जाति के रूप में।