"कभी जब तेरी याद आ जाये है / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | कभी जब तेरी याद आ जाय है दिलों पर घटा बन के छा जाय है | + | कभी जब तेरी याद आ जाय है |
− | शबे-यास में कौन छुप कर नदीम<sup>1</sup> मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है | + | दिलों पर घटा बन के छा जाय है |
− | महब्बत में ऐ मौत ऐ ज़िन्दगी मरा जाय है या जिया जाय है | + | |
+ | शबे-यास में कौन छुप कर नदीम<sup>1</sup> | ||
+ | मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है | ||
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+ | महब्बत में ऐ मौत ऐ ज़िन्दगी | ||
+ | मरा जाय है या जिया जाय है | ||
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पलक पर पसे-तर्के-ग़म<sup>2</sup> गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है | पलक पर पसे-तर्के-ग़म<sup>2</sup> गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है | ||
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− | सुनायें तुम्हें दास्ताने-' | + | तेरी याद शबहा-ए-बे-ख़्वाब में |
+ | सितारों की दुनिया बस जाय है | ||
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+ | जो बे-ख़्वाब रक्खे है ता ज़िन्दगी | ||
+ | वही ग़म किसी दिन सुला जाय है | ||
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+ | न सुन मुझसे हमदम मेरा हाल-ज़ार | ||
+ | दिलो-नातवाँ सनसना जाय है | ||
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+ | ग़ज़ल मेरी खींचे है ग़म की शराब | ||
+ | पिये है वो जिससे पिया जाय है | ||
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+ | मेरी शाइरी जो है जाने-नशात | ||
+ | ग़मों के ख़ज़ाने लुटा जाय है | ||
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+ | मुझे छोड़ कर जाय है तेरी याद | ||
+ | कि जीने का एक आसरा जाय है | ||
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+ | मुझे गुमरही का नहीं कोई ख़ौफ़ | ||
+ | तेरे घर को हर रास्ता जाय है | ||
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+ | सुनायें तुम्हें दास्ताने-'फ़िराक' | ||
मगर कब किसी से सुना जाय है | मगर कब किसी से सुना जाय है | ||
22:45, 3 मार्च 2020 का अवतरण
कभी जब तेरी याद आ जाय है
दिलों पर घटा बन के छा जाय है
शबे-यास में कौन छुप कर नदीम1
मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है
महब्बत में ऐ मौत ऐ ज़िन्दगी
मरा जाय है या जिया जाय है
पलक पर पसे-तर्के-ग़म2 गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है
तेरी याद शबहा-ए-बे-ख़्वाब में
सितारों की दुनिया बस जाय है
जो बे-ख़्वाब रक्खे है ता ज़िन्दगी
वही ग़म किसी दिन सुला जाय है
न सुन मुझसे हमदम मेरा हाल-ज़ार
दिलो-नातवाँ सनसना जाय है
ग़ज़ल मेरी खींचे है ग़म की शराब
पिये है वो जिससे पिया जाय है
मेरी शाइरी जो है जाने-नशात
ग़मों के ख़ज़ाने लुटा जाय है
मुझे छोड़ कर जाय है तेरी याद
कि जीने का एक आसरा जाय है
मुझे गुमरही का नहीं कोई ख़ौफ़
तेरे घर को हर रास्ता जाय है
सुनायें तुम्हें दास्ताने-'फ़िराक'
मगर कब किसी से सुना जाय है
1- साथी, 2- दुख के आँसू