भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"महब्बत क्या है ये सब पर अयां है / कुसुम ख़ुशबू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुसुम ख़ुशबू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:27, 6 मार्च 2020 के समय का अवतरण

महब्बत क्या है ये सब पर अयां है
 महब्बत ही ज़मीं और आसमां है

 ज़हे-क़िस्मत मुझे तुम मिल गए हो
 मेरे क़दमों के नीचे कहकशां है

 तमाशा ज़िंदगी का देखती हूं
 तबस्सुम मेरे होंठों पर रवां है

 गुलों पर तंज़ करती हैं बहारें
 अजब सी कशमकश में बाग़बां है

ज़रूरत क्या किसी की अब सफ़र में
 मेरे हमराह मीरे-कारवां है

 हम आए थे जहां में, जा रहे हैं
 बहुत ही मुख़्तसर सी दास्तां है

 तेरे दम से मुकम्मल हो गई हूं
 मैं ख़ुशबू हूं तू मेरा गुलसितां है