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"साथ में जी लूं या जीते जी मर जाऊं / मोहित नेगी मुंतज़िर" के अवतरणों में अंतर
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17:02, 6 मार्च 2020 के समय का अवतरण
साथ में जी लूं या जीते जी मर जाऊं
अपना सब कुछ तुझको अर्पण कर जाऊं
तेरी ख़ातिर छोड़ दिया घर बार अपना
बोल मैं क्या मुंह लेकर अपने घर जाऊं
दुनिया की सारी दौलत इक ओर करूँ
तेरा साथ अगर पाऊं तो तर जाऊं
दिल का कोना खाली खाली लगता है
मिल जाये जो साथ तिरा तो भर जाऊं
मेरा बस इक ख़्वाब है 'मोहित' जीवन में
कुछ नेकी के काम जहां में कर जाऊं।