भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पवित्र गोबर / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> पव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:58, 19 मार्च 2020 के समय का अवतरण
पवित्र गोबर
कोई रहस्य नहीं है
खासकर अगर आपने
उसे अपने दिमाग में
भर लिया हो
जिससे सुविधा के अनुसार
जब चाहें आप
गणेश बना सकते हैं
या फिर
अपना व किसी अन्य का गुड़
गोबर कर सकते हैं
करीब करीब पारस से
लोहे को सोना करने के
मिथ की तरह।