भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेटी के जन्माई / सुभाष चंद "रसिया"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:13, 27 मार्च 2020 के समय का अवतरण

बेटी के जन्माई ये माई,
बेटी के जन्माई।
गर्भ में हमरो जांच कराके,
हमके देलु मरवाई॥
ये माई बेटी के जन्माई॥

वंश की खातिर कंस बनी गइलू।
हमरा के तू नाही दुनिया देखवलु।
अंग-अंग देलु कटवाई ये माई॥
बेटी के जन्माई ये माई॥

अधूरा शरीर अंग पूरा न बाटे।
बेटी समझ के लोग हमें काटे।
अइसन बन ना कसाई ये माई॥
बेटी के जन्माई ये माई॥

सीता सावित्री सती अनसुइया,
सब जन्मी है नारी।
कइसे चली अब सृष्टि मइया,
हमरा के देलु जब मेरी ये माई॥
बेटी के जन्माई ये माई॥

समता व ममता के देवी होली नारी।
हमरा के आवे खातिर रोक काहे भारी।
रसिया जी के चेत अब बतिया ये माई॥
बेटी के जन्माई ये माई बेटी के जन्माई॥