भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माहिये-१ / वसुधा कनुप्रिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वसुधा कनुप्रिया |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:41, 8 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
भारत हम को प्यारा
मिलजुल सब रहते
दुनिया में यह न्यारा
ख़ुद जान लुटा देते
वीर सपूतों तुम
यह देश बचा लेते
फौजी से कह बहना
आ जाओ भैया
कुछ माँग रखूँगी ना ⚘
सरहद पे जाना है
माँ कहती बेटे
ना दूध लजाना है
जब वीर चले घर से
नमन करे इनको
सदराह सुमन बरसे
ये देश पुकार रहा
चल मेरे फौजी
दुशमन ललकार रहा
फौजी मेरे भैया
याद करे भाभी
रोती रहती मैया
आज़ादी आई है
एक हुआ भारत
अति ख़ुशियाँ छाई हैं
भारत मेरा प्यारा
दुनिया के नक़्शे
पर लगता ये न्यारा
वीरों की गति न्यारी
शान तिरंगे की
देखे दुनिया सारी