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"होली के दिन / मधुसूदन साहा" के अवतरणों में अंतर
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सबको भाते होली के दिन
हँसते-गाते होली के दिन।
खुशियाँ मिलती गली-गली में
खुशबू खिलती कली-कली में
घर-आंगन, देहरी-दरवाजे
रस बरसाते होली के दिन।
मधुमय लगता कोना-कोना
सब कुछ सुखमय सरस सलोना
ढ़ोल, झांझ, ढप और मंजीरे
सभी बजाते होली के दिन।
लाल, गुलाबी, नीले, पीले
मिलकर लगते हैं चमकीले
सब रंगों से हर मुखड़े को
भूत बनाते होली के दिन।
होली बच्चों की किलकारी
रंग भरी सुख की पिचकारी
मिलकर सब आपस में हँस-हँस
मौज मनाते होली के दिन।
सबको भाते होली के दिन
हँसते-गाते होली के दिन।