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"इन्तज़ार / आशा कुमार रस्तोगी" के अवतरणों में अंतर

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17:40, 23 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

ख़ुदाया मुझ पर भी इतना-सा तो करम कर दे,
दिल के कोने में उनके थोड़ी-सी जगह दे दे।

ज़हन में उनका तसव्वुर ही महकता है मेरे,
उन्हें भी इस हसीँ अहसास की सनद दे दे।

वक़्त दरिया है, वो तो बह के गुज़र जाएगा,
मेरे लफ़्ज़ों को भी थोड़ी सी रवानी दे दे।

मैंने सुन रक्खे हैं क़िस्से तो वफ़ा कि उनके,
उनके कानों को कोई मेरी कहानी दे दे।

मेरी आँखों का वह सैलाब देखते कब हैँ,
उनकी आँखों में भी थोड़ा-सा तो पानी दे दे।

सहर है दूर अभी, शब भी है क़ुरबत-ए-शबाब,
उनको ख़्वाबों मेँ ही आ जाने की दावत दे दे।

गुल तो हर कोई बिछाता है ख़ैर मक़दम मेँ,
मुझ को आँखों को बिछाने की इजाज़त दे दे।

उनके क़दमों की जो आहट अभी अभी है हुई,
दिल भी धड़के, रहे क़ाबू मेँ, वह ताक़त दे दे!