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"घायल पेड़ / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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7
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13
उठते गए
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भवन फफोले- से
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हरी धरा पे
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8
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ठूँठ जहाँ हैं
+
कभी हरे-भरे थे
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गाछ वहाँ पे
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9
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घायल पेड़
 
घायल पेड़
 
सिसकती घाटियाँ
 
सिसकती घाटियाँ
 
बिगड़ा रूप
 
बिगड़ा रूप
10
 
लोभ ने रौंदी
 
गिरिवन की काया
 
घाटी का रूप
 
11
 
हरी पगड़ी
 
हर ले गए बाज़
 
चुभती धूप
 
12
 
हरीतिमा की
 
ऐसी किस्मत फूटी
 
छाया भी लूटी
 
13
 
कड़ुआ धुआँ
 
लीलता रात-दिन
 
मधुर साँसें
 
 
14
 
14
 
सुरभि रोए
 
सुरभि रोए

07:46, 26 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

13
घायल पेड़
सिसकती घाटियाँ
बिगड़ा रूप
14
सुरभि रोए
प्राण लूट रही हैं
विषैली गैसें
15
मुँह बाए हैं
प्यासे पोखर जहाँ
नीर वहाँ था
16
तरसे कूप
दो घूँट मिले जल
सूखा हलक
17
गीत न फूटे
अब सूखे कण्ठ से
मौसम रूठे
18
पाखी भटके
न तरु सरोवर
छाँव न पानी
19
सुगंध लुटी
पहली वर्षा में लो
दुर्गंध उड़ी
20
वसुधा-तन
रोम-रोम उतरा
विष हत्यारा
21
दुर्गंध बने
घातक रसायन
माटी मिलके
22
क्षय-पीड़ित
हुआ नील गगन
साँसे उखड़ी
23
तन झुलसा
घायल सीने का भी
छेद बढ़ा है
24
गुलाब दुखी
बिछुड़ी है खुशबू
माटी हो गया
25
घास जो जली
धरा गोद में पली
गौरैया रोए
-0-