"माहिए (101 से 110) / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर
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+ | 101. सावन का महीना है | ||
+ | दूर रहें साजन | ||
+ | बेकार का जीना है | ||
+ | 102. आवाज़ सुनों मेरी | ||
+ | सबसे ये फिर कह दो | ||
+ | क़ुदरत की हूँ मैं चेरी | ||
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+ | 103. आकाश के ये तारे | ||
+ | ध्यान में रहकर भी | ||
+ | लें नाम तिरा सारे | ||
+ | 104. कोसी के भी पानी ने | ||
+ | चाल चली टेढ़ी | ||
+ | बतलाया है नानी ने | ||
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+ | 105. नज़रों ने किया वादा | ||
+ | साथ निभाने का | ||
+ | फिर तीर भी ख़ुद साधा | ||
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+ | 106. सौ बार जनम लेंगे | ||
+ | तुम से करें वादा | ||
+ | हम साथ सदा देंगे | ||
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+ | 107. ‘अर्जुन’ ने ‘करन’ मारा | ||
+ | कृष्ण के आगे वो | ||
+ | लाचार था बेचारा | ||
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+ | 108. किस-किस को ये समझाएं | ||
+ | चीर बढाने को | ||
+ | श्री कृष्ण चले आएं | ||
+ | |||
+ | 109. विपदा ने मुझे घेरा | ||
+ | ईश! जगत के तुम | ||
+ | मन शांत करो मेरा | ||
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+ | 110. ॠतुओं का भी ये फेरा | ||
+ | कितना है मनमोहक | ||
+ | सम्पूर्ण जगत घेरा | ||
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12:47, 26 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
101. सावन का महीना है
दूर रहें साजन
बेकार का जीना है
102. आवाज़ सुनों मेरी
सबसे ये फिर कह दो
क़ुदरत की हूँ मैं चेरी
103. आकाश के ये तारे
ध्यान में रहकर भी
लें नाम तिरा सारे
104. कोसी के भी पानी ने
चाल चली टेढ़ी
बतलाया है नानी ने
105. नज़रों ने किया वादा
साथ निभाने का
फिर तीर भी ख़ुद साधा
106. सौ बार जनम लेंगे
तुम से करें वादा
हम साथ सदा देंगे
107. ‘अर्जुन’ ने ‘करन’ मारा
कृष्ण के आगे वो
लाचार था बेचारा
108. किस-किस को ये समझाएं
चीर बढाने को
श्री कृष्ण चले आएं
109. विपदा ने मुझे घेरा
ईश! जगत के तुम
मन शांत करो मेरा
110. ॠतुओं का भी ये फेरा
कितना है मनमोहक
सम्पूर्ण जगत घेरा