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"लहर / निलिम कुमार" के अवतरणों में अंतर

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रजत-सुनहरी लहरें
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लहरें मछलियों में बदल गई हैं
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लहरें प्रतिकूल दिशा में बह रही हैं
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लहर-रक्त से सने हैं माँस छीलने के चाकू
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लहरें दमक रही हैं
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नमक और हल्दी की रंगत से
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औरतें लहरों से दोपहर पका रही हैं
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कटोरे लहरों में छलछला आए हैं
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लहरें जा रही हैं
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मनुष्यों के पेट में
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एक असम्भव कविता की तरह
 
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रजत-सुनहरी लहरें ।
 
रजत-सुनहरी लहरें ।
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'''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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01:55, 30 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

लहरें पानी में उठ रही हैं
रजत-सुनहरी लहरें ।

लहरें मछलियों में बदल गई हैं ।

लहरें प्रतिकूल दिशा में बह रही हैं,
जाल और फन्दों से आदमी लहरों को पकड़ रहे हैं ।

टोकरियाँ लहरों से भरी गई हैं,
लहर-रक्त से सने हैं माँस छीलने के चाकू ।

लहरें दमक रही हैं,
नमक और हल्दी की रंगत से ।

औरतें लहरों से दोपहर पका रही हैं,
कटोरे लहरों में छलछला आए हैं ।

लहरें जा रही हैं,
मनुष्यों के पेट में ।

एक असम्भव कविता की तरह
रजत-सुनहरी लहरें ।

मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय