"ख़ुदनुमा होके निहाँ छुप के नुमायाँ होना / फ़िराक़ गोरखपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | ख़ुदनुमा होके निहाँ छुप के नुमायाँ होना | + | ख़ुदनुमा<ref>आत्मप्रदर्शी</ref> होके निहाँ<ref>छुपा हुआ</ref> छुप के नुमायाँ<ref>व्यक्त,ज़ाहिर</ref> होना |
− | अलग़रज़ हुस्न | + | अलग़रज़ हुस्न को रुसवा<ref>बदनाम</ref> किसी उनवाँ<ref>प्रकार</ref>होना |
− | यूँ तो अकसीर है ख़ाके-दरे-जानाँ लेकिन | + | यूँ तो अकसीर<ref> रसायन, कीमिया</ref> है ख़ाके-दरे-जानाँ<ref>प्रेमिका के दर की मिटटी</ref>लेकिन |
− | काविशे-ग़म से उसे गर्दिशे-दौराँ होना | + | काविशे-ग़म<ref>ग़म की तलाश, ग़म की खोज</ref> से उसे गर्दिशे-दौराँ<ref>काल-चक्र,समय का उलट-फेर</ref> होना |
− | हद्दे-तमकीं से न बाहर हुई खु़द्दार निगाह | + | हद्दे-तमकीं<ref>सम्मान की हद, गंभीरता की हद</ref> से न बाहर हुई खु़द्दार निगाह |
− | आज तक आ न सका | + | आज तक आ न सका हुस्न को हैराँ होना |
− | चारागर दर्द सरापा हूँ मेरे दर्द नहीं | + | चारागर<ref>चिकित्सक</ref> दर्द सरापा<ref>सिर से पांव तक</ref> हूँ मेरे दर्द नहीं |
− | बावर आया तुझे नश्तर का रगे-जाँ होना | + | बावर<ref>विश्वास, एतिबार, आस्था</ref> आया तुझे नश्तर<ref>कांटा</ref> का रगे-जाँ होना |
− | दफ़्तरे-राज़े- | + | दफ़्तरे-राज़े-महब्बत<ref>महब्बत के राज़ का भाग</ref> था मलाले-दिल |
− | पर वो सुकूते निगहे-नाज़ का पुरसाँ होना | + | पर वो सुकूते-निगहे-नाज़<ref> अभिमानी आँखों की ख़ामोशी</ref> का पुरसाँ<ref>पूछनेवाला, पृच्छक, जिज्ञासु</ref> होना |
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+ | सर-बसर बर्के़-फ़ना<ref>मौत की बिजली</ref> इश्क़ के जलवे हैं 'फ़िराक़' | ||
+ | ख़ानाए-दिल<ref>दिल के घर, दिल के भाग</ref> को न आबाद न वीराँ होना। | ||
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16:51, 30 अप्रैल 2020 का अवतरण
ख़ुदनुमा<ref>आत्मप्रदर्शी</ref> होके निहाँ<ref>छुपा हुआ</ref> छुप के नुमायाँ<ref>व्यक्त,ज़ाहिर</ref> होना
अलग़रज़ हुस्न को रुसवा<ref>बदनाम</ref> किसी उनवाँ<ref>प्रकार</ref>होना
यूँ तो अकसीर<ref> रसायन, कीमिया</ref> है ख़ाके-दरे-जानाँ<ref>प्रेमिका के दर की मिटटी</ref>लेकिन
काविशे-ग़म<ref>ग़म की तलाश, ग़म की खोज</ref> से उसे गर्दिशे-दौराँ<ref>काल-चक्र,समय का उलट-फेर</ref> होना
हद्दे-तमकीं<ref>सम्मान की हद, गंभीरता की हद</ref> से न बाहर हुई खु़द्दार निगाह
आज तक आ न सका हुस्न को हैराँ होना
चारागर<ref>चिकित्सक</ref> दर्द सरापा<ref>सिर से पांव तक</ref> हूँ मेरे दर्द नहीं
बावर<ref>विश्वास, एतिबार, आस्था</ref> आया तुझे नश्तर<ref>कांटा</ref> का रगे-जाँ होना
दफ़्तरे-राज़े-महब्बत<ref>महब्बत के राज़ का भाग</ref> था मलाले-दिल
पर वो सुकूते-निगहे-नाज़<ref> अभिमानी आँखों की ख़ामोशी</ref> का पुरसाँ<ref>पूछनेवाला, पृच्छक, जिज्ञासु</ref> होना
सर-बसर बर्के़-फ़ना<ref>मौत की बिजली</ref> इश्क़ के जलवे हैं 'फ़िराक़'
ख़ानाए-दिल<ref>दिल के घर, दिल के भाग</ref> को न आबाद न वीराँ होना।