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"छाल उठ्यो त्रिशूलीमा / गीता त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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छाल उठ्यो त्रिशूलीमा काटी लग्यो छेउ
माया भयो ढुङ्गामुनि टाँसिएको लेहु
कैले चल्ने चिसो हावा, कैले चर्को घाम
तिमी साथ भए हुन्थ्यो, त्यही चारधाम
बगरको तिर्खा रह्यो, मनको एक छेउ
माया भयो ढुङ्गामुनि टाँसिएको लेहु
त्रिशूलीले काटी पार्योँ पहरालाई गल्छी
जता जाऊँ परिर'न्छु कस्तो थाप्यौ बल्छी
घेरा परेँ काँढेतारको बाटो खोलिदेऊ
माया भयो ढुङ्गामुनि टाँसिएको लेहु