भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेरो चाह / गीता त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:18, 3 मई 2020 के समय का अवतरण
कैलाशको चाह बोक्छ मानसरोवर
मेरो चाह त्यस्तै पाऊँ प्रियतमको घर
जताततै उज्यालोले बाँधिराखोस् माया
कैलाशकै प्रतिबिम्व बोक्ने सङ्लो छाया
मेरो देउता चम्किरहू सधैँभरि मैमा
धूलो फक्री फूल बनोस् तिम्ले टेक्ने भूइँमा
चारैतिर सुगन्ध फैल्योस् हरहर
मेरो चाह त्यस्तै पाऊँ प्रियतमको घर
विश्वासले चुलिएला चाह थरीथरी
हृदयको कुनाकुना इन्द्रेणी झैँ परी
मेरो नाता बाँचिरहोस् युगौँ तिमीसँग
घामछाया हाँसिरहोस् नयाँनयाँ रङ्ग
छातीभित्र मोती साँच्छ मानसरोवर
मेरो चाह त्यस्तै पाऊँ प्रियतमको घर
•