भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बन्द कर लो द्वार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
|विविध=मूल्य(सजिल्द) :250 रुपये
 
|विविध=मूल्य(सजिल्द) :250 रुपये
 
}}
 
}}
 
 
  
  
 
*[[बन्द कर लो द्वार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ]]
 
*[[बन्द कर लो द्वार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ ]]
 
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=  रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'   
 
|संग्रह= 
 
}}
 
[[Category:हाइकु]]
 
<poem>
 
136
 
हे बन्धु मेरे
 
'''बन्द कर लो द्वार'''
 
लौटना नहीं।
 
137
 
हम थे जोगी
 
धरा -गगन घर
 
चले जिधर।
 
138
 
जागोगे जब
 
हमें नहीं पाओगे
 
रोना अकेले।
 
139
 
हरित पत्र
 
रक्तिम पतझर
 
मेपल झरा।
 
140
 
हँसा विपिन
 
जगमग आँगन
 
मेपल लाल।
 
141
 
हृदयतल
 
आरती बन गूँजे
 
मधुर बैन।
 
142
 
ज़रा ठहर,
 
'''बीतने ही वाला  है'''
 
चौथा पहर।
 
143
 
हुई अँजोर
 
बज उठी साँकल
 
खोलो जी द्वार!
 
144
 
हुलसा उर
 
सुनी थी  पदचाप
 
आए वे द्वार।
 
145
 
हेरते तट
 
नदी कब रुकी है
 
उफनी भागी।
 
-0-
 
<poem>
 

09:11, 5 मई 2020 का अवतरण

बन्द कर लो द्वार
General Book.png
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
प्रकाशक हिन्दी साहित्य निकेतन, 16 साहित्य विहार,बिजनौर-246701( उत्तर प्रदेश )
वर्ष 2019
भाषा हिन्दी
विषय ( हाइकु)कविताएँ
विधा
पृष्ठ 124
ISBN 978-93-86812-70-4
विविध मूल्य(सजिल्द) :250 रुपये
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।


  • बन्द कर लो द्वार / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’