भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिहान नभई बतासले / ईश्वरवल्लभ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नगेन्द्र थापा |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | बिहान नभै बतासले शीत किन | + | बिहान नभै बतासले शीत किन सुकाइदिन्छ |
− | जस्तै मेरा | + | जस्तै मेरा पीरहरूले गीत सबै लुकाइदिन्छ |
− | + | छाया परे परे जस्तो चेहराको ऐनाभित्र | |
− | + | कहिले काहीँ बिर्सिदिन्छु बितेका अनेक चित्र | |
− | कसैले | + | कसैले त हारिसके, जितिसके जिन्दगीमा |
− | म पनि त | + | म पनि त जितूँ भन्छु, कसलेकसले बिर्साइदिन्छ |
− | बिम्ब | + | बिम्ब झरेझरेजस्तो फूलभित्र तरेलीमा |
− | + | कहिले काहीँ अल्झिदिन्छु आँसुभित्र परेलीमा | |
− | मलाई पनि | + | मलाई पनि कतैतिर माया लागेजस्तो हुन्छ |
− | सम्झिएका व्यथा सबै | + | सम्झिएका व्यथा सबै, कसलेकसले बिर्साइदिन्छ |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> |
22:01, 7 मई 2020 का अवतरण
बिहान नभै बतासले शीत किन सुकाइदिन्छ
जस्तै मेरा पीरहरूले गीत सबै लुकाइदिन्छ
छाया परे परे जस्तो चेहराको ऐनाभित्र
कहिले काहीँ बिर्सिदिन्छु बितेका अनेक चित्र
कसैले त हारिसके, जितिसके जिन्दगीमा
म पनि त जितूँ भन्छु, कसलेकसले बिर्साइदिन्छ
बिम्ब झरेझरेजस्तो फूलभित्र तरेलीमा
कहिले काहीँ अल्झिदिन्छु आँसुभित्र परेलीमा
मलाई पनि कतैतिर माया लागेजस्तो हुन्छ
सम्झिएका व्यथा सबै, कसलेकसले बिर्साइदिन्छ