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"म रोऊँ त कहाँ रोऊँ / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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10:29, 12 मई 2020 के समय का अवतरण
म रोऊँ त कहाँ रोऊँ, कसैले मलाई बुझ्दैन
गाऊँ म कसका लागि, कसैले मलाई सुन्दैन
जहाँ जाऊँ जता जाऊँ आफ्नै पीरले किच्दछ
सँधैभरि एकनासले मलाई अभावले थिच्दछ
रात कालो हुँदा पनि किन यो आघात लुक्दैन
जति चिच्याए पनि किन मुटुको गाँठो फुक्दैन
निचोरी मुटु हिँड्दछु भिजी रगतमा घाउ भै
कहाँ लगूँ, म के गरूँ, छैन चोटको भाऊ नै
कति सुकाऊँ घाउ मेरो कहिल्यै पनि सुक्दैन
यस्तो लाग्छ अब मलाई मृत्यु पनि दुख्दैन