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"वरदान माँगूँगा नहीं / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’" के अवतरणों में अंतर

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यह हार एक विराम है
 
यह हार एक विराम है
 
 
जीवन महासंग्राम है
 
जीवन महासंग्राम है
 
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तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ।
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
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वरदान माँगूँगा नहीं ।।
 
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वरदान माँगूँगा नहीं।।
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स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
 
स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
 
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अपने खण्डहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
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यह जान लो मैं विश्‍व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं ।
 
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वरदान माँगूँगा नहीं ।।
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
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वरदान माँगूँगा नहीं।।
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क्‍या हार में क्‍या जीत में
 
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किंचित नहीं भयभीत मैं
 
किंचित नहीं भयभीत मैं
 
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संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही ।
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
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वरदान माँगूँगा नहीं ।।
 
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वरदान माँगूँगा नहीं।।
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लघुता न अब मेरी छुओ
 
लघुता न अब मेरी छुओ
 
 
तुम हो महान बने रहो
 
तुम हो महान बने रहो
 
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अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं ।
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
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वरदान माँगूँगा नहीं ।।
 
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वरदान माँगूँगा नहीं।।
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चाहे हृदय को ताप दो
 
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चाहे मुझे अभिशाप दो
चाहे मुझे अभिशप दो
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कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ।
 
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वरदान माँगूँगा नहीं ।।
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
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वरदान माँगूँगा नहीं।।
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03:58, 15 मई 2020 के समय का अवतरण

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खण्डहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की सम्पत्ति चाहूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्त्तव्य पथ से किन्तु भागूँगा नहीं ।
वरदान माँगूँगा नहीं ।।