भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लोकतन्त्र में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br /> अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br /> सरकार के प...) |
छो (जम्हूरियत में / नोमान शौक़ का नाम बदलकर लोकतन्त्र में / नोमान शौक़ कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:08, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण
कोई दोष नहीं दिया जा सकता
अपनी ही चुनी हुई सरकार को
सरकार के पास
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं
योजनाएं होती हैं प्रतिबध्दता नहीं
शरीर होता है आत्मा नहीं
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
आंखें होती हैं आंसू नहीं
बस मौत के आंकडे होते हैं
मौत की भयावहता नहीं
सब कुछ होते हुए
कुछ भी नहीं होता
सरकार के पास !