भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लोकतन्त्र में / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(पृष्ठ से सम्पूर्ण विषयवस्तु हटा रहा है)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=नोमान शौक़
 +
}}
  
 +
कोई दोष नहीं दिया जा सकता<br />
 +
अपनी ही चुनी हुई सरकार को<br />
 +
 +
सरकार के पास<br />
 +
धर्म होता है अध्यात्म नहीं<br />
 +
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं<br />
 +
शब्द होते हैं भाव नहीं<br />
 +
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं<br />
 +
शरीर होता है आत्मा नहीं<br />
 +
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं<br />
 +
आँखें होती हैं आँसू नहीं<br />
 +
बस, मौत के आँकडे होते हैं<br />
 +
मौत की भयावहता नहीं<br />
 +
 +
सब कुछ होते हुए<br />
 +
कुछ भी नहीं होता<br />
 +
सरकार के पास !<br />

23:39, 13 सितम्बर 2008 का अवतरण

कोई दोष नहीं दिया जा सकता
अपनी ही चुनी हुई सरकार को

सरकार के पास
धर्म होता है अध्यात्म नहीं
पुस्तकें होती हैं ज्ञान नहीं
शब्द होते हैं भाव नहीं
योजनाएँ होती हैं प्रतिबध्दता नहीं
शरीर होता है आत्मा नहीं
मुखौटे होते हैं चेहरा नहीं
आँखें होती हैं आँसू नहीं
बस, मौत के आँकडे होते हैं
मौत की भयावहता नहीं

सब कुछ होते हुए
कुछ भी नहीं होता
सरकार के पास !