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"मैंने तो सोचा था- / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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दर जब तेरा  आया होगा
 
मैंने शीश झुकाया होगा ।
 
  
बहुत सूरतें होंगी दिलकश
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हुई भोर सुन 
रूप तुम्हारा भाया होगा ।
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ओ मेरे मन के पाखी
 
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कट ही गई
जब-जब साँसें मेरी लौटीं
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देखो ये अँधियारी रात
गीत तुम्हारा गाया होगा।
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और भी कट जाएँगी ।
 
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हम धो डालें
लहरों से हम बचकर निकले
+
आओ उदासी  
साथ तुम्हारा साया होगा ।
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शीतल जल से  
 
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रख दूँ सिर पर हाथ
मेरे आँगन खुशबू फैली
+
व्यथाएँ भी घट जाएँगी 
तुमने ही महकाया होगा ।
+
मैंने तो सोचा था -मिटकर
 
+
घावों का मरहम बन जाऊँ, 
वैसे तो मिलना नामुमकिन
+
पर कुछ भी तो हो न सका  
सपनों में भरमाया होगा
+
छूकर तेरा तपता माथा
 
+
मैं दो पल को  भी , 
अपने सपने तोड़ गए जब
+
तेरे हृदय का ताप
मुझको धीर बँधाया होगा।
+
चाहकर धो न सका ।
 
+
सारे रिश्ते बोझ बने थे
+
तुमने हाथ बँटाया होगा।
+
 
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दुनिया से जब धोखा खाया
+
प्यार तुम्हारा पाया होगा
+
 
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अँधियारे जब घिरकर आए
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तुमने दीप जलाया होगा।
+
  
  
 
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18:12, 1 जून 2020 के समय का अवतरण


हुई भोर सुन
ओ मेरे मन के पाखी
कट ही गई
देखो ये अँधियारी रात
और भी कट जाएँगी ।
हम धो डालें
आओ उदासी
शीतल जल से
रख दूँ सिर पर हाथ
व्यथाएँ भी घट जाएँगी
मैंने तो सोचा था -मिटकर
घावों का मरहम बन जाऊँ,
पर कुछ भी तो हो न सका ।
छूकर तेरा तपता माथा
मैं दो पल को भी ,
तेरे हृदय का ताप
चाहकर धो न सका ।