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"खूब नारे उछाले गए / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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(लक्ष्मीशंकर जी की ग़ज़ल) |
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20:03, 3 जून 2020 के समय का अवतरण
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खूब नारे उछाले गए
लोग बातों में टाले गए।
जो अंधेरों में पाले गए
दूर तक वो उजाले गए।
जिनसे घर में उजाले हुए
वो ही घर से निकाले गए।
जिनके मन में कोई चोर था
वो नियम से शिवाले गए।
पाँव जितना चले उनसे भी
दूर पांवों के छाले गए।
इक ज़रा सी मुलाक़ात के
कितने मतलब निकाले गए।
कौन साज़िश में शामिल हुए
किनके मुंह के निवाले गए।
अब ये ताज़ा अँधेरे जियो
कल के बासी उजाले गए।